किंग ऑफ रोमांस इंजीनियर बनना चाहते थे, कुछ यूं चमका था यश चोपड़ा की किस्मत का सितारा
यश चोपड़ा को हिंदी सिनेमा में किंग ऑफ रोमांस के नाम से जाना जाता था. वो एक मशहूर फिल्ममेकर होने के साथ साथ एक बेहद दिलचस्प शख्सियत भी थे. कहते हैं उनके जैसा कहानियां शायद ही मनोरंजन जगत में कोई गढ़ पाता था.

यश चोपड़ा को हिंदी सिनेमा में किंग ऑफ रोमांस के नाम से जाना जाता था. वो एक मशहूर फिल्ममेकर होने के साथ साथ एक बेहद दिलचस्प शख्सियत भी थे. कहते हैं उनके जैसा कहानियां शायद ही मनोरंजन जगत में कोई गढ़ पाता था. उनकी हर कहानी ब्लॉकबस्टर साबित होती थी. आज पूरा फिल्म जगत उनकी बर्थ एनिवर्सरी मना रहा है. इस खास मौके पर उन्हें हर कोई याद कर रहा है. बता दें कि यश चोपड़ा ने हिंदी फिल्मों में कुछ ऐसे खास एक्सपेरिमेंट किए हैं, जिन्हें शायद कभी कोई नहीं भूल सकता. आज के इस खास मौके पर उनकी जिंदगी की कुछ दिलचस्प कहानियों के बारे में जानेंगे, जिनसे आप अबतक अंजान हैं.
दीवार’, ‘कभी कभी’, ‘डर’, ‘चांदनी’, ‘सिलसिला’, ‘दिल तो पागल है’, ‘वीर जारा’ जैसी कई बेहतरीन फिल्में बनाने वाले यश चोपड़ा ने पर्दे पर रोमांस और प्यार को एक नए मायने दिए हैं. 27 सितंबर साल 1932 को लाहौर में जन्में यश चोपड़ा खाने के बेहद शौकीन थे. लाहौर से ही पढ़ाई पूरी करने वाले फिल्ममेकर का परिवार साल 1945 पंजाब के लुधियाना में बस गया था. बताया जाता है कि यश इंजीनियरिंग की पढ़ाई करना चाहते थे, लेकिन शायद किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
रिपोर्ट्स की मानें तो यश चोपड़ा इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए लंदन का रुख करने वाले थे, लेकिन उनकी किस्मत का सितारा कहीं और चमकना लिखा था. फिर कुछ ऐसा हुआ कि फिल्मों में करियर बनाने का सपना लिए वो सपनों के शहर बंबई आ गए थे.
जमीन से तय किया आसमां का सफर
मुंबई में यश चोपड़ा ने बतौर सहायक निर्देशक अपने करियर की शुरुआत की. बता दें उनके बड़े भाई बी आर चोपड़ा और आई एस जौहर उन दिनों उनके साथ थे. साल 1959 में उन्होंने पहली फिल्म ‘धूल का फूल’ का निर्देशन किया. कई जबरदस्त और सफल फिल्मों के बाद साल 1973 में उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी यशराज फिल्म्स की स्थापना की. जिसके बाद उनका स्टारडम सातवें आसमान पर जा पहुंचा.
ये थी करियर की पहली फिल्म
उनके करियर की सबसे दिलचस्प बात यह थी कि फिल्म वक्त से उन्होंने एक्सपेरिमेंट किया. जिस वक्त गाने से फिल्में चलती थीं, तब साल 1969 में यश चोपड़ा ने फिल्म इत्तेफाक बनाई. बता दें कि राजेश खन्ना और नंदा की जोड़ी वाली संस्पेंस थ्रिलर फिल्म में कोई गाना नहीं था, बावजूद इसके फिल्म को दर्शकों ने काफी पसंद किया और उसे सुपरहिट बना दिया.
असफलताओं का भी किया था सामना
हालांकि, करियर के दौरान एक वक्त ऐसा भी आया जब यश चोपड़ा को असफलताओं का सामना करना पड़ा था. उनकी कई फिल्में जैसे नाखुदा, सवाल, फासले, मशाल, विजय बॉक्स आफिस पर लगातार असफल होती गईं और उन्हें बुरा झटका लगा. लेकिन, नाकामियाबी से हार ना मानकर यश चोपड़ा लगातार मेहनत करते रहे. इसी के साथ उन्होंने कई सितारों को भी स्टारडम का दर्जा दिलाया.
ये थीं यश चोपड़ा की बेहतरीन फिल्में
अपने फिल्मी सफर के दौरान उन्होंने साल 1975 में फिल्म ‘दीवार’ से उन्होंने महानायक अमिताभ बच्चन की ‘एंग्री यंग मैन’ की छवि बनाई. अमिताभ की अहम रोल वाली पांच फिल्में ‘दीवार’ (1975), ‘कभी-कभी (1976), ‘त्रिशूल’ (1978), ‘काला पत्थर’ (1979), ‘सिलसिला’ (1981) यश चोपड़ा की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक रहीं. वहीं, बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान के साथ बतौर निर्देशक यश चोपड़ा ने ‘डर’, ‘दिल तो पागल है’ और ‘वीर जारा’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं. ऐसा करके उन्होंने शाहरुख को उस वक्त का महानायक बना दिया. यश चोपड़ा की आखिरी फिल्म ‘जब तक है जान’ रही. 21 अक्टूबर साल 2012 को डेंगू के चलते उनका निधन हो गया और उन्होंने पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया था.