Chanakya ki Niti : कष्टों में जिंदगी बिताते हैं ऐसे लोग, इस एक काम से होता है सबसे अधिक दुख

चाणक्य ( Chanakya ) नीति: आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) ने नीति शास्त्र के एक श्लोक के माध्यम से दुनिया में सबसे ज्यादा दुखी लोगों के बारे में बताया है। ऐसा इसलिए क्योंकि वे अपने हिसाब से कुछ नहीं कर पाते हैं।
चाणक्य ( Chanakya ) नीति: आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) एक सफल दार्शनिक ( Philosopher ) और महान अर्थशास्त्री माने जाते हैं। चाणक्य ( Chanakya ) अपने समय के सबसे बड़े और विद्वान थे जो किसी व्यक्ति ( Person ) के कार्यों को देखकर उसके भविष्य का आकलन कर सकते थे और भविष्य की भविष्यवाणी कर सकते थे। आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) ने एक श्लोक के माध्यम से सफल जीवन जीने के उपाय बताए हैं। आइए जानते हैं चाणक्य ( Chanakya ) नीति की खास बातें।
सबसे बड़ी परेशानी यही है
नीति शास्त्र में चाणक्य ( Chanakya ) ने कई ऐसी बातों का जिक्र किया है जो सुनने में थोड़ी कड़वी लगती हैं, लेकिन उनका पालन करके व्यक्ति ( Person ) सुखी जीवन का आनंद उठा सकता है। इसी तरह, चाणक्य ( Chanakya ) उस स्थिति का वर्णन करते हैं जब मनुष्य सबसे बड़े संकट में होता है। इस संबंध में चाणक्य ( Chanakya ) ने नीति ( Chanakya Niti ) शास्त्र में एक श्लोक का वर्णन किया है। श्लोक यह है: 'मूर्ख होना वास्तव में कठिन है, और युवा होना वास्तव में कठिन है, और दूसरे के घर में रहना कष्ट से कठिन है' इस श्लोक का अर्थ है कि मूर्खता भी एक पीड़ा है, यौवन भी एक पीड़ा है, पर दूसरों के घरों में रहना सबसे बड़ी पीड़ा है।
बेवकूफी
आचार्य चाणक्य ( Acharya Chanakya ) के अनुसार यदि कोई चाहे तो आसानी से सुख प्राप्त कर सकता है। परन्तु जो मूर्ख हैं वे सही और गलत की समझ को भूल जाते हैं। उन्हें हमेशा कुछ न कुछ परेशानी का सामना करना पड़ता है।
तरुणाई
चाणक्य ( Chanakya ) कहते हैं कि युवावस्था में भी मनुष्य बहुत दुखी रहता है। वास्तव में यह एक ऐसी उम्र है जब व्यक्ति ( Person ) के भीतर सैकड़ों इच्छाएं जन्म लेती हैं। जिनमें से कुछ ही पूरे होते हैं। इस अवस्था में व्यक्ति ( Person ) इतना भावुक हो जाता है कि थोड़ा सा मिलते ही वह अपने अहंकार में सब कुछ भूल जाता है। जिसका खामियाजा उसे बाद में भुगतना पड़ता है।
दूसरों के घरों में रहना
चाणक्य ( Chanakya ) के अनुसार दूसरे के घर में रहना मूर्खता और यौवन से भी अधिक कष्टदायक है। दरअसल इंसान जब दूसरों के घर में रहता है तो वह पूरी तरह से उन पर निर्भर होता है। उसकी स्वतंत्रता पूरी तरह छिन गई है। ऐसे में जब व्यक्ति ( Person ) वह नहीं कर पाता जो वह करना चाहता है तो उसका भीतर से दम घुटने लगता है। जो उसके लिए अत्यंत पीड़ादायक है।